शिक्षा
सेवापर्मोधर्म सहयोग सेवा सर्वोपरमोधर्म सर्वोच्च जीवन किसी व्यक्ति का विकास तथा राज्य और देश का विकास ज्ञान विज्ञान का मूल मंत्र शिक्षा है। इसके बिना ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता। हमारा उद्देश्य है कि व्यक्ति की मजबूत जड़ शिक्षा को मजबूती देना। बच्चों तथा उनके माता-पिता की परेशानियों को कम करना और देश के सभी गांव टाउन, जिला के शिक्षण संस्थान को हर नागरिक तथा अमीर-गरीब तक इसकी जाग्रति मिले। हमने इसके स्तर-स्तर पर रूपरेखा तैयार की है, इस प्रकार है:-
1. नर्सरी के.जी. से क्लास 5 तक शिक्षा का ज्ञान प्रदाय करना। साथ जिला राज्य तथा देश स्तर का ज्ञान प्रदान करना। साथ हर सप्ताह में एक बार एक दिन सप्ताह का पूर्ण टेस्ट करना जिससे याददास्त बनी रहें। (नॉलेजपूर्ण)
2. क्लास 6 से 8 तक सभी विषय का शिक्षण ज्ञान के साथ रेल्वे, बैंकिंग, एसएससी समकक्ष ज्ञान का विस्तारण करना। राज्य देश, विदेश का ज्ञान।
3. क्लास 8 से 12 तक सभी कम्पीटीशन, डॉक्टर्स, विधिक, इंजीनियरिंग, यूपीएससी राज्य स्तर के सभी राष्ट्रीय स्तर के सभी कम्पीटीशन का ज्ञान, शिक्षण के साथ-साथ ज्ञान का विस्तारण करना।
देश के सभी 7 लाख गांव, 6200 तहसीले, 700 जिलों के साथ जुड़ने वाले स्कूल, विद्यालय, खोलने तथा खुलवाने का कार्य करना, करवाना।
वृद्धजन
देश के संपूर्ण वृद्धजनों को समिति के सदस्यों द्वारा पूरा-पूरा स्वास्थ्य, खाना, रहना, कपड़ों से पूरा-पूरा ध्यान रखना। शर्त - असहाय होने पर वृद्ध सेवा आर्शीवाद उन्नति का मार्ग श्रेष्ठ बनाना है।
विकलांग
देश के समस्त विकलांगो को रोजगार तथा जीवन यापन की व्यवस्था प्रदान करना। खेलकूद, शैक्षणिक, कम्पीटीशन, व्यवहारिक एवं सांस्कृतिक संबंधी ज्ञान, कार्यक्रमों का आयोजन करना। जन जाग्रति हेतु कार्य करना।
असहाय महिलाओं
देश की समस्त असहाय महिलाओं को रोजगार व्यवहारिक शैक्षाणिक सांस्कृतिक संबधी ज्ञान कार्यक्रम आयोजन करना आयोजन करना जन जागृति हेतु कार्य कराना।
असहाय पुरूषों
देश की समस्त असहाय महिलाओं को रोजगार, व्यवहारिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक संबंधी ज्ञान कार्यक्रम आयोजन करना। जन जाग्रति हेतु कार्य करना।
असहाय बच्चे
देश के समस्त असहाय बच्चों को शैक्षणिक ज्ञान, व्यवहारिक ज्ञान, कम्पीटीशन संबंधी कार्यक्रम आयोजन करना तथा आयोजन करवाना। जन जाग्रति हेतु कार्य करना।
खेलकूद
देश के समस्त गांव, शहर, जिलों में खेलकूद का प्रशिक्षण कराना। आयोजन करना, करवाना। जिला स्तर, राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर, अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करना। सिंगल, डबल खिलाड़ी तैयार करना।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
देश के समस्त गांव, शहर, राज्य स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन करना तथा गाने, भजन, योगा, डांस, ड्रेस, स्तर-स्तर पर आयोजन करना। राष्ट्रीय एकता के प्रति जागरूकता तथा कार्य कराना।
सामाजिक कार्यक्रम
देश के समस्त गांव, शहर, राज्य, देश स्तर-स्तर पर समस्त समाज, धर्म, व्यवहार, राष्ट्रीय एकता जनएकता, संपूर्ण राष्ट्रीयता के लिए सामाजिक आयोजनों को करना और करवाना। राष्ट्रीय एकता सर्वोपरी महान एकता का कार्य करना एवं जागरूक कराना।
वन
वन हमारी पृथ्वी पर फेफड़ों का काम करती है। मनुष्य का जीवन वायु के बिना संभव नहीं हो सकता। प्राण वायु के लिए वनों का होना आवश्यक है। वनों से मनुष्य के लिए जीवन आक्सीजन पार्क तैयार करवाना हमारा कार्यक्रम इसके प्रति समुद्र से चार किलोमीटर तक पीपल वृक्ष तथा नीम के वृक्ष लगवाना। नदीयों के एक किलोमीटर से दो किलोमीटर तक वृक्ष लगवाना। नहरों के किनारे डेढ़ सौ मीटर तक वृक्ष लगवाना। सभी प्रकार के रोड किनारे 10-10 मीटर पर जीवन आक्सीजन पीपल, नीम वृक्ष या क्षेत्र के जलवायु के अनुसार वृक्ष लगवाना। देश के प्रत्येक एम.एल.ए. क्षेत्र में 20 आक्सीजन पार्क तैयार करवाना। आबादी से 10 गुना वृक्ष लगवाना तथा जिला स्तर पर 50 आक्सीजन पार्क तैयार करवाना। यह सब जनता के सहयोग तथा सरकार के सहयोग से ही संभव हो सकता है। वनों को पृथ्वी के फेफड़ों के रूप में जाना जाता है। ग्रीन हाउस उत्सर्जन में इसका महत्व सर्वोपरी है।
पर्यावरण प्रदूषण की अनियमितता
पर्यावरण प्रदूषण की अनियमितता का जलवायु और मिट्टी पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। वायु प्रदूषण दमा, स्वास की बीमारी, ब्रोन्काईट्स खॉसी, फेफड़ों में जलन, सीने में दर्द, गैस, एसिडिटी रोग, चर्म रोग,कैंसर, खुजली, लंग्स कैंसर, अस्थमा, एलर्जी, लीवर तथा हार्ट पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। आधे से ज्यादा पुलीस कर्मी, पत्रकार, मीडिया रोड एंकर धूल एवं धुंओ के कणों के कारण दमा, स्वास से पीड़ित तथा छाती में जकड़न, नाक और गले में संक्रमण। दमा, एलर्जी, जलन, खुजली, टी.बी., गैस, एसिडिटी की बीमारी, वाहन प्रदूषण धूल के कणों के कारण रोेगों से प्रभावित है। 17-10-2013 पत्रिका, भोपाल।
जल प्रदूषण
जल प्रदूषण के कारण एसिडिटी, लीवर कैंसर, दस्त, अतिसार, गुर्दो में खराबी, खराब पाचन क्रिया, लीवर सोराईसिस, कैंसर की संभवना बनी रहती है कारण:- सल्फरडाई आक्साईड, कार्बनडाई मोनोआक्साईड से मिट्टी में मिलावट होने से बिमारियां फैलती है। दिल की बीमारी तथा किडनी भी खराब हो सकती है। देश में 45 प्रतिशत मृत्यु दर खराब पानी के कारण के होती है। वायु तथा जल मिट्टी के प्रदूषण के कारण खाने की उत्पादन वस्तुएं प्रदूषित हो चुकी है।
केन्द्रीय मंत्री अंनन्त कुमार जी ने कहा है कि देश में 8 करोड़ डायबिटिज के मरीज है। यानि हर घंटें 350 लोग हार्ट अटैक से मरते हैं यानि 24 घंटे में 8400 लोग मरते हैं। इनमें से 10 में 2 मरीज 30 पर से कम उम्र के होते हैं यानि 1680 हार्ट अटैक 30 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति रोज मरते हैं। पत्रिका भोपाल पेज- 4 दिनांक 15-03-2014.
जल मिट्टी का प्रदूषण
जल मिट्टी के प्रदूषण के कारण वायु मण्डल में बढ़ती प्रदूषण गैस तथा रासायनिक खाद, रेडिऐशन कार्बन से मिट्टी में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। सबसे ज्यादा खतरनाक अम्लीय वर्षा में सल्फरडाई आक्साईड के कारण 70 प्रतिशत एवं 30 प्रतिशत नाईट्रोजन आक्साईड के कारण होती है। इस कारण मिट्टी में होने वाले उत्पादन ज्यादा प्रदूषित उत्पाद है। अम्लीय वर्षा के सफेद बादल हजारोें किलोमीटर की दूरी तय कर मानव शरीर पर प्रभाव डालते हैं। सल्फर डाईआक्साईड ैव्2 ळच्ड कार्बनमोना आक्साईड ब्व् 100 च्च्ड नाईट्रोजन आक्साईड 1.4 पीपीएम इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक सल्फर डाईआक्साईड इससे धूम कोहरा बनता है। यदि आद्रता अधिक हो तो अस्थमा, ब्रोन्काईट्स एवं फेफड़ों के कैंसर की आशंका बड़ जाती है। इसमें सू़क्ष्म कण फेफड़ों में जाते हैं। भविष्य में जिससे कोशिकाओं की हानी होती है। भविष्य में घाव बन जाते हैं जिससे फेफड़ों में कैंसर की आशंका बलवती हो जाती है। कार्बन मोनो आक्साईड में कोई गंध नहीं होती परंतु यह जहर का काम करती है। आमाशय कैंसर, अम्लीय प्रभाव से चर्म रोग, खाज, खुजली, एक्जीमा, एलर्जी का प्रकोप बढ़ सकता है। दूसरी तरफ किडनी संबंधी बीमारियां बढ़ती है। पथरी पड़ना, अल्सर और पीलिया दूषित पानी से होता है।
इससे मिट्टी के उत्पादन जहरीले तथा प्रदूषित अधिक मा़त्रा में होता है।
पर्यावरण प्रदूषण की अनियमितता पर नियमितता
पर्यावरण प्रदूषण को नियमित करने से ही मानव जीवन बच पायेगा। नही ंतो तड़प-तड़प कर मर जायेगा। धन-दौलत कोई काम नहीं आएगी। जल-पानी, हवा-मिट्टी को प्रदूषण कम करके प्रदूषण मुक्त करना होगा। इसके लिए जनता का सरकार का पूरा साथ मिलना चाहिए तभी संभव होगा।
स्वास्थ
देश के सभी गांव, शहर, नगर, कस्बों में कैंसर, टी.बी., हार्ट की बीमारी का ईलाज करने के लिए आयुर्वेद ऋषि-मुनी के तरीकों से ईलाज करना होगा। हर जगह इस आधार पर हास्पीटल खुलवाये जायेंगे। निःशुल्क सेवा जनता के सहयोग से जनता का ईलाज जन भागीदारी जरूरी होती है। महिलाओं, बच्चों, वृद्धों, असहायजनेा का निःशुल्क ईलाज की सुविधा पर अधिक जोर दिया जायेगा।
पानी-मिट्टी हवा का शुद्धिकरण मानव जीवन के लिए अतिआवश्यक है। समय-समय पर इसका जन जाग्रती हेतु विस्तारण किया जाता रहेगा। बेरोजगारी दूर करने हेतु जन जाग्रती के कार्य तथा खेती, केमीकल रहित मिट्टी का शुद्धिकरण करना बहुत आवश्यक है। शुद्ध पानी मिट्टी हवा से अच्छा स्वास्थ्य अच्छा जीवन, अच्छा कार्य कर अपना विकास कर सकेगा।
मिट्टी का शुद्धिकरण
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मनुष्य का खाना 90 प्रतिशत मिट्टी से हुये उत्पादन से है। जितना भी कच्चा खाद्य सबका 90 प्रतिशत तथा जंगल , पहाड़ पर्वत की मिट्टी से ही निर्मित वस्तु हैं। यह मिट्टी खराब हो तो उत्पादन भी खराब होगा। मिट्टी रसायनिक खाद, किटनाशक दवा के साथ सल्फरडाई आक्साईड, कार्बनडाई मोनोआक्साईड, लेड, कार्बनडाई आक्साईड, जैसी अम्लीय वर्षा वाली गैसे मिट्टी में मिल चुकी होती है। कारण शरीर की अनगिनत बीमारियां सभी के साथ है। मिट्टी शुद्धिकरण करना मानव जीवन के लिए बहुत ही अनिवार्य है। इसकी प्रक्रिया और कार्य क्रिया जन भागीदारी से की जाएगी। खेती की मिट्टी को शुद्ध करने के लिए पृथ्वी की सबसे बड़ी शक्ति और मिट्टी स्वास्थ्य सुधार का सबसे बड़ा भण्डार ब्रम्हाण्ड को अपने अंदर समाये हुये जीवनदायिनी ब्रम्ही जानवर जिसे मानव गाय कहते है, यहि है ब्रम्हाण्ड को श्रेष्ठ शुद्ध वातावरण मिट्टी के उत्पादन में सर्व श्रेष्ठ योगदान बीमारीरहित खाद, कीटनाशक दवा प्रदान करने वाली, रसायनिक खाद से ज्यादा उत्पादन में सबसे ज्यादा योगदान ब्रम्ही गोरब खाद तथा मूत्र खेती के लिए सबसे अच्छा साधन तथा तरीका है इसके उपयोग के बहुत-बहुत तरीकें हैं। ब्रम्ही गोबर तथा ब्रम्ही मूत्र से बहुत-बहुत सुधार तथा शुद्धिकरण बहुत-बहुत मात्रा में हो सकता है।
हवा का शुद्धिकरण
हवा मानवीय जीवन का जीवन है। हवा के बीना कोई मनुष्य जी नहीं सकता। श्वांस मानव हवा के द्वारा ही लेता है। मनुष्य 24 घंटे में 20000 से अधिक बार जीवन जीने के लिए लेता है। हवा में अनेक प्रकार की गैसे मिलने के कारण श्वांस वायु खराब हो चुकी है। हवा में कार्बन डाईआक्साईड तथा सल्फर डाईआक्साईड, कार्बनडाई मोनोआक्साईड, मिथेन, प्रोपोन और कई अनेक प्रकार गैसे श्वांस वायु में मिलकर वायु को खराब कर चुकी है। इससे शुद्धिकरण के लिए घर के अंदर तथा घर के बाहर कार्य क्रिया तथा प्रक्रिया निरंतर चालू रखनी होगी। इससे मनुष्य को श्वांस वायु शुद्ध मिल सकें, बीमारी कम हो सकें। यह हम सबका जन सहयोग से जनता के लिए कार्य जारी रहेगा।